अमेरिका ने ऐलान किया है कि ऐसे छात्रों का वीजा वापस लिया जाएगा जिनकी क्लासेज केवल ऑनलाइन मॉडल पर हो रही है.



इमिग्रेशन और कस्टम इनफोर्समेंट डिपार्टमेंट (आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग) की तरफ से एक बयान जारी करके कहा गया कि नॉनइमिग्रैंट F-1 और M -1 छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा जिनकी केवल ऑनलाइन क्लासेज चल रही है.

ऐसे छात्रों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी या फिर अगर वह अभी भी अमेरिका में रह रह हैं तो उन्हें अमेरिका छोड़कर अपने देश जाना होगा.

अमेरिका की ज्यादातर यूनिवर्सिटीज ने अब तक अगले सेमेस्टर के लिए योजना के बारे में नहीं बताया है. ज्यादातर कॉलेजों के लिए हाइब्रिड मॉडल का ऐलान किया था लेकिन हॉर्वर्ड जैसे कुछ बड़े विश्वविद्यालयों ने छात्रों के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन क्लासेज का इंतजाम किया था.

इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन (IIE) के अनुसार अमेरिका में 2018-2019 एकैडमिक इयर के लिए 10 लाख से ज्यादा इंटरनेशनल छात्र हैं.  जिनमें बड़ी संख्या में चीन, भारत, साउथ कोरिया, सउदी अरब और कनाडा जैसे देश शामिल हैं. 

कोरोना बेशक एक महामारी है, लेकिन इसका असर इंसानी रिश्तों पर सबसे ज़्यादा हुआ है.

जैसे-जैसे लोग एक-दूसरे से दूर हो रहे हैं, दुनिया की उन तमाम दरवाज़ों को बंद किया जा रहा है, जहां से हम बेहतरी की उम्मीद लगाए घुसते थे.

शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी, तरक़्क़ी, ज्ञान, कौशल, तकनीक सभी के लिए दुनिया सिकुड़ती जा रही है.

चीन ने कोरोना पर समय रहते रोक नहीं लगाई तो ऐसा अविश्वास फैला कि अपने लोगों के सिवा बाहर के किसी आदमी पर भरोसा नहीं रहा.

भारत के लिए ही नहीं, उन छात्रों के लिए भी यह बड़ा नुकसान है, जो लाखों का लोन लेकर अमेरिका पढ़ने गए थे.

अब उनके सामने भविष्य का गंभीर सवाल है।

Courtesy - Soumitra Roy

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